
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आम आदमी पार्टी के दो प्रमुख नेताओं, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली के एंटी-करप्शन ब्यूरो को भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 17A के तहत इन दोनों के खिलाफ औपचारिक जांच शुरू करने की अनुमति दे दी. यह जांच दिल्ली पूर्व आप सरकार के स्कूलों में कमरों और इमारतों के निर्माण में कथित गड़बड़ियों से संबंधित है. उस समय सिसोदिया शिक्षा मंत्री थे, जबकि जैन PWD (लोक निर्माण विभाग) के मंत्री थे.
जानिए क्या है पूरा मामला?
ये विवाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 2,400 से ज्यादा क्लासरूम बनाने में हुई कथित अनियमितताओं से शुरू हुआ. सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) ने अपनी 17 फरवरी 2020 की रिपोर्ट में इन निर्माण कार्यों में ‘साफ-साफ गड़बड़ियां’ होने की बात कही थी. इसके बाद 2022 में दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस मामले की जांच की सिफारिश की और अपनी रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को सौंपी. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ACB इस मामले में गहराई से पड़ताल करेगी. धारा 17A के तहत किसी भी भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में जांच से पहले मंजूरी लेना जरूरी होता है, जिसे 2018 में कानून में जोड़ा गया था.
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इससे पहले 18 फरवरी को राष्ट्रपति ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच की मंजूरी दी थी. ये मामला Enforcement Directorate (ED) की जांच से जुड़ा है. ED का दावा है कि 2015-16 में जैन ने चार फर्जी कंपनियों के जरिए 4.81 करोड़ रुपये की हवाला रकम ली थी. ये पैसा कोलकाता के ऑपरेटरों से नकद लेकर शेल कंपनियों में डाला गया था. CBI ने भी दिसंबर 2018 में जैन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें उनके पास 1.47 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति होने का आरोप है.
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ये खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर हलचल मच गई. कुछ लोग इसे सही कदम बता रहे हैं और कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार पर लगाम जरूरी है. एक यूजर ने लिखा, ‘जो गलत करे, उसे सजा मिलनी ही चाहिए.’ वहीं, कुछ का कहना है कि ये सियासी बदले की कार्रवाई हो सकती है. आप समर्थकों का मानना है कि केंद्र सरकार उनकी पार्टी को निशाना बना रही है.
जानिए क्या होगा आगे?
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब ACB इस मामले में सबूत जुटाएगी और जरूरत पड़ने पर कोर्ट में केस भी ले जाएगी. सिसोदिया और जैन, जो पहले ही कई मामलों में जमानत पर बाहर हैं, अब नए सिरे से कानूनी दांवपेच में फंस सकते हैं. ये मामला न सिर्फ आप सरकार की साख पर सवाल उठा रहा है, बल्कि दिल्ली की सियासत में भी नया तूफान ला सकता है. अब सबकी नजर इस जांच के नतीजों पर टिकी है.